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बाक़ी कामकाज ठप कर मणिपुर पर चर्चा करें: संयुक्त विपक्ष

बाक़ी कामकाज ठप कर मणिपुर पर चर्चा करें: संयुक्त विपक्ष

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर मानवता को शर्मसार करने वाले मामले को लेकर 26 विपक्षी दलों ने संसद में सबकुछ छोड़कर इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की है। लेकिन क्या ऐसा होगा?

मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न घुमाने के वायरल हुए वीडियो ने पूरे देश को झकझोर दिया है। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना और मणिपुर हिंसा को लेकर 26 विपक्षी दलों ने सब मुद्दों को छोड़कर संसद में इस पर चर्चा कराने की मांग की है।

विपक्ष की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, 'भारत के 26 राजनीतिक दलों ने आज सारा कामकाज स्थगित कर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग की। दोनों सदनों में पीएम मोदी को बयान देना चाहिए और उनके बयान के आधार पर सदन में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन हमारी मांग को नजरअंदाज कर दिया गया। हम इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।' आज ही शुरू हुए संसद के मानसून सत्र से पहले ही इस मुद्दे ने जोर पकड़ा है। इससे पहले ख़बर आई थी कि पंद्रह विपक्षी सांसदों ने स्थगन प्रस्ताव पेश कर संसद से सभी कामकाज निलंबित करने और मणिपुर में जारी हिंसा पर बहस कराने को कहा था। विपक्ष ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर पर संसद में बयान दें। 

मणिपुर में 3 मई से मेइती लोगों और एसटी कूकी-ज़ोमी लोगों के बीच लगातार जातीय हिंसा देखी जा रही है। 27 मार्च के विवादास्पद आदेश के खिलाफ एक आदिवासी विरोध के तुरंत बाद हिंसा शुरू हो गई थी। अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, सैकड़ों अन्य घायल हो गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। सैकड़ों घरों में आगजनी की घटना हुई है। कई चर्चों में भी आग लगाने की घटना सामने आई है।

आक्रोश आज उस समय बढ़ गया जब दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो बुधवार को वायरल हुआ। महिलाओं के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया। राज्य की पुलिस ने कहा है कि जाँच जारी है।

तृणमूल के डेरेक ओब्रायन ने एक वीडियो संदेश में कहा कि अगर प्रधानमंत्री नहीं बोलते हैं तो वह इसके बाद होने वाले व्यवधान के लिए जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि मन की बात बहुत हो गई, मणिपुर की बात का समय आ गया है। उन्होंने मांग की कि पीएम मोदी संसद के दोनों सदनों में बयान दें।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि सरकार संसद में सभी मामलों पर चर्चा करने के लिए तैयार है।

बता दें कि मणिपुर में हिंसा की वजह दो समुदायों- मेइती और कुकी समुदायों के बीच चली आ रही तनातनी है। कहा जा रहा है कि यह तनाव तब बढ़ गया जब मेइती को एसटी का दर्जा दिए जाने की बात कही जाने लगी। इसको लेकर हजारों आदिवासियों ने राज्य के 10 पहाड़ी जिलों में एक मार्च निकाला। इन जिलों में अधिकांश आदिवासी आबादी निवास करती है। यह मार्च इसलिए निकाला गया कि मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव का विरोध किया जाए। मेइती समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल आबादी का लगभग 53% है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है।

मणिपुर मुख्य तौर पर दो क्षेत्रों में बँटा हुआ है। एक तो है इंफाल घाटी और दूसरा हिल एरिया। इंफाल घाटी राज्य के कुल क्षेत्रफल का 10 फ़ीसदी हिस्सा है जबकि हिल एरिया 90 फ़ीसदी हिस्सा है। इन 10 फ़ीसदी हिस्से में ही राज्य की विधानसभा की 60 सीटों में से 40 सीटें आती हैं। इन क्षेत्रों में मुख्य तौर पर मेइती समुदाय के लोग रहते हैं। 

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