2000 के नोट बदलने का नियम कालेधन वालों के लिए रेड कार्पेट: चिदंबरम
कालेधन का 'भूत' पीछा ही नहीं छोड़ता! 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर कालेधन को ख़त्म हो जाना था! लेकिन नहीं हुआ। 2016 में 1000 रुपये व 500 रुपये के नोट बंद कर और 2000 रुपये व 500 के नये नोट निकालकर कालेधन पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' किया गया। और अचानक 2023 में उसी 2000 रुपये के नये नोट को बंद करके फिर से 'कालेधन' को ख़त्म करने का फ़ैसला किया गया! तो सवाल है कि क्या इस 2000 रुपये के नोट के चलन से हटाए जाने से कालाधन ख़त्म हो जाएगा या फिर 2016 की नोटबंदी की तरह ही 'कालेधन' 'सफेद' हो जाएँगे?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार के 2000 रुपये के नोट वापस लिए जाने के नियमों को तो कालेधन वालों के लिए सुविधाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि अब इन लोगों को अपनी मुद्रा बदलने के लिए रेड कार्पेट बिछा दिया गया है। उन्होंने ट्वीट कर दलील दी है कि 2000 रुपये के नोट अब साधारण लोगों के पास नहीं हैं और ये नोट अब कालेधन वाले लोगों के पास हैं।
Banks have clarified that no identity, no forms and no proof will be required to exchange the Rs 2000 notes
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 22, 2023
The BJP's spin that the Rs 2000 notes are being withdrawn to unearth black money stands demolished
Ordinary people do not have Rs 2000 notes. They shunned it soon after…
पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट में कहा है, 'बैंकों ने साफ़ किया है कि 2000 रुपए के नोट बदलने के लिए किसी पहचान पत्र, फॉर्म और किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं होगी। भाजपा का यह तर्क कि कालेधन का पता लगाने के लिए 2000 रुपये के नोटों को वापस लिया जा रहा है, ध्वस्त हो गया है। साधारण लोगों के पास 2000 रुपए के नोट नहीं हैं। 2016 में पेश किए जाने के तुरंत बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया। ये नोट दैनिक खुदरा विनिमय के लिए बेकार थे।'
उन्होंने आगे कहा है, 'तो 2000 रुपये के नोट किसने रखे और उनका इस्तेमाल किया? आप जवाब जानते हैं। 2000 रुपये के नोट ने केवल कालाधन रखने वालों को आसानी से अपना पैसा जमा करने में मदद की। 2000 रुपये के नोट रखने वालों का अपने नोट बदलने के लिए रेड कार्पेट पर स्वागत किया जा रहा है! कालेधन को जड़ से खत्म करने के सरकार के घोषित उद्देश्य के लिए बहुत कुछ है...।'
पी चिदंबरम के इस ट्वीट का एक अर्थ यह भी निकलता है कि 2000 रुपये के नोट को बदलने के मौजूदा नियम से 'कालेधन' को 'सफेद' करने का मौक़ा दिया जा रहा है! यह आरोप वैसा ही है जैसे 2016 की नोटबंदी के दौरान मोदी सरकार पर लगे थे। वैसे, खुद प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार और कालेधन को ख़त्म करने वाला बताया था।
8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी, 'देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए एक और सख्त क़दम उठाना ज़रूरी हो गया है। आज मध्य रात्रि यानी 8 नवम्बर 2016 की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानी ये मुद्राएं क़ानूनन अमान्य होंगी। 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के ज़रिये लेन-देन की व्यवस्था आज मध्य रात्रि से उपलब्ध नहीं होगी।'
प्रधानमंत्री मोदी ने छह साल पहले नोटबंदी की घोषणा के दौरान जो भाषण दिया था इसमें मुख्य तौर पर भ्रष्टाचार, कालेधन और जाली नोट को ख़त्म करने और आतंकवाद पर लगाम लगाने का ज़िक्र था। लेकिन इसके बाद उनके मंत्री, बीजेपी नेता-समर्थक, अधिकारी अलग-अलग मक़सद जोड़ते गए।
कालेधन, नकली नोटों को ख़त्म करने के साथ ही, देश को कैशलेस इकॉनमी बनाने, बड़े नोटों को कम करने, आतंकियों और नक्सलियों की कमर तोड़ने, नशीली दवाओं का क़ारोबार तबाह करने जैसे मक़सद गिनाए गए। ये अलग-अलग मक़सद तब बताए जा रहे थे जब नोटबंदी को लेकर सरकार की आलोचना की जा रही थी। ऐसा इसलिए कि नोटबंदी लागू होने से पहले ही घोषणा के तुरंत बाद देश में अफरा-तफरी मच गई थी।
नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लग गईं। सोने की दुकानों पर भीड़ लग गई। बैंकों के बाहर लाइनें लगाकर नोटों को बदलवाने के लिए लोगों को हफ्तों तक परेशान होना पड़ा था। बाद में 500 और 2000 रुपए के नये नोट जारी किए गए थे।
एक तरफ़ लोग अपने पुराने नोटों को जमा करने के लिए परेशान हो रहे थे वहीं दूसरी तरफ़ लोगों को हर रोज़ की ज़रूरत की चीजों के लिए पैसों की किल्लत हो गई थी। चाहे बैंक हों या फिर एटीएम लंबी-लंबी लाइनें लग रही थीं। ठिठुराती सर्द रात में भी लोग लाइनों में इंतज़ार कर रहे थे। पैसे के बिना इलाज नहीं होने, शादियाँ टूटने जैसी दिक्कतें आई थीं। लाइनों में लोगों के मरने की ख़बरें भी आई थीं।
तो सवाल है कि ये सब कष्ट झेलने के बाद भी क्या नोटबंदी से कालाधन ख़त्म हुआ?
भारतीय रिजर्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार, 99 प्रतिशत से अधिक यानी क़रीब पूरा पैसा बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गया जिसे अमान्य क़रार दे दिया गया था। 15.41 लाख करोड़ रुपये के जो नोट अमान्य हो गए, उनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट वापस आ गए थे। यानी पहले जो बड़े पैमाने पर कालाधन का दावा किया गया था, वे क़रीब-क़रीब सभी बैंकों में पहुँच गया। यानी 'कालाधन' 'सफेद' हो गया! नोटबंदी की कवायद के बाद से कितना कालाधन बरामद हुआ है? इस पर अब तक कोई आँकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है। हालाँकि फरवरी 2019 में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद को बताया था कि नोटबंदी सहित विभिन्न काला धन विरोधी उपायों के माध्यम से काला धन के रूप में 1.3 लाख करोड़ रुपये की वसूली की गई है।
यह भी पूछा जाता है कि नकली नोटों पर क्या लगाम लगा? आरबीआई ने पिछले साल मई महीने में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में जाली नोटों में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। केंद्रीय बैंक ने 500 रुपये के नकली नोटों में 101.93 प्रतिशत की वृद्धि का पता लगाया, जबकि 2,000 रुपये के नकली नोटों में 54 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। 10 रुपये और 20 रुपये के नकली नोटों में 16.45 और 16.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 200 रुपये के नकली नोट 11.7 फीसदी बढ़े। रिपोर्ट में कहा गया कि 50 रुपये और 100 रुपये के नकली नोटों में क्रमशः 28.65 और 16.71 प्रतिशत की गिरावट आई है।
नोटबंदी के बाद के दिनों में कैशलेस इकॉनमी का जो लक्ष्य बताया गया था उसका हस्र क्या हुआ यह छुपा नहीं है, क्योंकि चलन में अब पहले से भी 72 फ़ीसदी से ज़्यादा नोट हैं। इसके अलावा न तो आतंकवादियों व नक्सलियों की कमर टूटी और न ही नशीली दवाओं का कारोबार ख़त्म हुआ। आतंकवाद आज भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है। आज भी पाकिस्तान के आतंकवादी कश्मीर में हिंसा का घिनौना खेल खेल रहे हैं। नक्सली हमलों की ख़बरें लगातार आती ही रही हैं।