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20 लाख नौकरी से 45% रोजगार! मनीष सिसोदिया करेंगे चमत्कार!

20 लाख नौकरी से 45% रोजगार! मनीष सिसोदिया करेंगे चमत्कार!

केजरीवाल सरकार ने अगले 5 साल में 20 लाख रोजगार पैदा करने का वादा किया है लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएगी?

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के बजट में यह उल्लेख कर सनसनी फैला दी है कि वह अगले 5 साल में दिल्ली में रोजगार पाने वाली आबादी को 33 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी कर देगी। इसके लिए जरूरी 20 लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य भी केजरीवाल सरकार अगले पांच साल में हासिल कर लेगी।

लेकिन, केजरीवाल सरकार के इस दावे में बहुत बड़ा सच छिपा है। सच यह है कि 20 लाख रोजगार अगले पांच साल में पैदा हो भी जाए तब भी 45 फीसदी लोगों के पास रोजगार होने का दावा पूरा नहीं हो सकता। इस पहेली को हम यहां समझाने का प्रयास करते हैं। 

वैसे बजट भाषण में यह भी कहा गया है कि आजादी के 100 साल बाद 2047 तक दिल्ली को सिंगापुर की स्थिति में पहुंचाना चाहती है केजरीवाल सरकार। सिंगापुर में 67 फीसदी आबादी के पास रोजगार है।25 साल बाद की बात सही होगी या गलत, इस पर विचार करने से बेहतर है कि अगले पांच साल में केजरीवाल सरकार के दावों को ही परख लिया जाए।

रोज़गार के सपने 2027 के, आंकड़े 2011 के!

दिल्ली सरकार का बजट पेश करते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया 2011 के आंकड़े रखते हैं। बजट भाषण में वे कहते हैं कि दिल्ली की जनसंख्या 1.68 करोड़ है और रोज़गार में लगी आबादी 55.87 लाख है। इस तरह हर तीसरा व्यक्ति रोजगार में है। है न आश्चर्य की बात? 11 साल पहले के आंकड़े रखकर दिल्ली के डिप्टी सीएम कल्पना कर रहे हैं कि महज 20 लाख नौकरी जोड़ देने से दिल्ली की 45 फीसदी आबादी को रोज़गार मिल जाएगा। 

सिसोदिया से हुई चूक

इकोनोमिक सर्वे ऑफ डेल्ही 2020-21 और इससे पहले के भी सर्वे में लगातार यह कहा गया है कि दिल्ली में रोजगार और रोजगार रहित आबादी का अनुपात लगभग एक समान बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की यह बात बिल्कुल सही है कि दिल्ली में हर तीसरे व्यक्ति के पास रोजगार है। फिर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से चूक कहां हो रही है? आइए इसे समझते हैं।

जनसंख्या 3.11 करोड़, 1 करोड़ हैं नौकरी में

वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू डॉट कॉम के मुताबिक दिल्ली की वर्तमान जनसंख्या 3.11 करोड़ है। हर तीसरे व्यक्ति के रोजगार में होने का मतलब है कि 1 करोड़ से ज्यादा लोग इस वक्त रोजगार में हैं। 5 साल बाद 2027 में दिल्ली की आबादी 3 करोड़ 64 लाख (स्रोत-वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू डॉट कॉम) रहने के आसार हैं। 

अगर 5 साल बाद दिल्ली में रोजगार का स्तर 45 फीसदी तक ले जाना है तो इसके लिए कम से कम 1.63 करोड़ लोगों के पास रोजगार रहना चाहिए। ऐसा तभी संभव है जब कि इन पांच सालों में 63 अतिरिक्त लोगों को रोजगार दिए जाएं। अब बात समझ में आ गयी होगी कि केजरीवाल सरकार को 20 लाख नहीं, 63 लाख लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी होगी। तब जाकर 45 फीसदी लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य अगले पांच साल में पूरा होगा।

20 लाख रोज़गार पर भी है सवाल

हम किसी रैली में किसी नेता के भाषण की चर्चा नहीं कर रहे हैं। दिल्ली विधानसभा के पटल पर रखे गये बजट भाषण की चर्चा कर रहे हैं। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शानदार बजट पेश करने के लिए बधाई देते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार की बात कर रहे हैं। 5 साल में 63 लाख तो छोड़िए, 20 लाख नौकरी भी केजरीवाल सरकार कहां से और कैसे देगी- यह बहुत बड़ा सवाल है।

खुद केजरीवाल सरकार बजट पेश करते हुए मानती है कि वह बीते 7 साल में केवल 1.78 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दे सकी है। ऐसे में वर्तमान सरकार के बाकी बचे 3 साल में ऐसा चमत्कार कैसे होगा कि अगले पांच साल में 20 लाख नौकरियां पैदा हो जाए?

जवाब है कि केजरीवाल सरकार इसके लिए रोजगार का इको सिस्टम तैयार कर रही है। यह इको सिस्टम बना या नहीं, इसका पता तो 2027 में ही चलेगा। तब पता नहीं कि केजरीवाल सरकार हो, ना हो क्योंकि जनता ने उन्हें 2025 तक के लिए चुना है।

दिल्ली विधानसभा में पेश बजट में बताया गया है कि बीते 7 वर्षों में कहां-कहां पक्के रोजगार के अवसर बनाए गये हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि 51,307 पक्की नौकरी तो डीएसएसबी के जरिए दी गयी है। दिल्ली विश्वविद्यालयों में करीब 2,500 रोजगार, अस्पतालों में करीब 3,000 रोज़गार, करीब 25 हजार गेस्ट टीचर, सफाई और सुरक्षा क्षेत्र में एजेंसियों के माध्यम से करीब 50 हजार रोज़गार दिए गये हैं। इन्हें जोड़कर भी 1.78 लाख रोजगार का आंकड़ा पूरा नहीं होता। 

 - Satya Hindi

केजरीवाल बेरोजगारों को सपने दिखा रहे हैं!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 28 फरवरी 2016 को किसानों को सपना दिखाया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी हो जाएगी। तब उन्हें पता नहीं था लेकिन उनका विश्वास था कि 2019 में आम चुनाव जीतकर वे दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे। बन भी गये। लेकिन, 28 फरवरी 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी नहीं हो सकी। प्रधानमंत्री की रैली में कही गयी बात झूठी साबित हुई। फिर, केजरीवाल सरकार के बजट भाषण में कही गयी बात अगर झूठी साबित हो जाए, तो क्या फर्क पड़ जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की अर्थव्यवस्था 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक करने की भी घोषणा कर चुके हैं। पिछले 2 साल से भारतीय अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन के आसपास ऊपर-नीचे होती दिख रही है। अब वक्त दो साल का बचा है। देखना यह है कि इस अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दो ट्रिलियन बढ़ पाता है या नहीं। ना भी बढ़े तो आप क्या कर लेंगे। प्रधानमंत्री बोलेंगे तो सुनना भी पड़ेगा और मानना भी।

केंद्र सरकार का उदाहरण हमने इसलिए रखा क्योंकि दिल्ली सरकार उसी नक्शे कदम पर चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सपने दिखाने में हालांकि तथ्यात्मक गलती नहीं की है लेकिन केजरीवाल सरकार तो तथ्यों को भी तोड़-मरोड़ कर दावे करती दिख रही है। दोनों सरकारों में एक और समानता यह भी है कि इनका घोषित लक्ष्य जनता ने जो निर्वाचित सरकार की मियाद तय की है, उससे आगे का है। 

3 साल में कितना रोजगार देंगे केजरीवाल?​

सालाना बजट में केजरीवाल सरकार 5 साल और 25 साल आगे का लक्ष्य तय कर रही है। केजरीवाल सरकार के 2 साल बीत चुके हैं। 3 साल बाकी हैं। फिर भी वह आगे के 5 साल में 20 लाख रोज़गार देने का वादा कर रही है मानो केजरावील सरकार को पता हो कि जनता दोबारा उनकी ही सरकार को मौका देने वाली है।

यह बात भी जनता को नागवार नहीं गुजरती अगर तथ्य सही होते। अगले पांच साल में 45 फीसदी लोगों के पास रोजगार हो, इसके लिए 20 लाख नहीं 63 लाख रोजगार पैदा करने होंगे। क्या ऐसा मुमकिन हो सकेगा? हो कैसे, 63 लाख रोजगार देने का तो लक्ष्य भी नहीं है।

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