20 लाख करोड़ का पैकेज देश के लिए क्रूर मजाक साबित हुआ: सोनिया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा घोषित किया गया 20 लाख करोड़ का पैकेज देश के लिए क्रूर मजाक साबित हुआ है। कोरोना संकट को लेकर शुक्रवार को विपक्षी दलों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में सोनिया मोदी सरकार पर ख़ासी हमलावर रहीं।
एनडीटीवी के मुताबिक़, सोनिया ने कहा कि सारी ताक़तें अब एक ऑफ़िस में सिमटकर रह गई हैं और इसका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) है। सोनिया ने कहा, ‘संघवाद की भावना हमारे संविधान का अटूट अंग है लेकिन इसे भुला दिया गया है।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है और हर अर्थशास्त्री इस बात को कह रहा है कि इस समय बड़े वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की ज़रूरत है लेकिन प्रधानमंत्री के द्वारा घोषित किया गया 20 लाख करोड़ का पैकेज देश के लिए क्रूर मजाक साबित हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान सरकार के पास मुसीबतों का कोई हल न होना चिंताजनक है लेकिन ग़रीबों और कमजोरों के लिए किसी तरह की हमदर्दी या दया न होना बेहद निराश करता है।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अलावा देश की आबादी के 13 करोड़ ग़रीब लोगों को बेदर्द तरीक़े से नज़रअंदाज कर दिया गया है। इसमें किराये पर खेती करने वाले किसान, नौकरी से निकाले गए लोग, दुकानदार और ख़ुद का काम करने वाले शामिल हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक़, सोनिया ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को लगता था कि वायरस के ख़िलाफ़ यह जंग 21 दिन में ख़त्म हो जाएगी लेकिन वह ग़लत निकले। ऐसा लगता है कि यह वायरस तब तक रहेगा, जब तक इसकी वैक्सीन नहीं मिल जाती। मेरा यह मानना है कि सरकार लॉकडाउन को लेकर निश्चित नहीं थी और न ही उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति है।’ सोनिया ने कोरोना संकट से लड़ने को लेकर मोदी सरकार की रणनीति पर हमला किया।
इस दौरान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘लॉकडाउन के दो लक्ष्य हैं - बीमारी को रोकना और आने वाली बीमारी से लड़ने की तैयारी करना। लेकिन आज संक्रमण बढ़ रहा है और हम लॉकडाउन खोल रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि एकाएक बग़ैर सोचे किए गए लॉकडाउन से सही नतीजा नहीं आया’
राहुल ने कहा, ‘लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है। अगर आज उनकी मदद नहीं की गई, अगर उनके खातों में 7,500 रुपये नहीं डाले गए, राशन का इंतज़ाम नहीं किया गया, प्रवासी मज़दूरों, किसानों और एमएसएमई की मदद नहीं की गई तो आर्थिक तबाही हो जाएगी।’
इस दौरान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मौजूद रहे। लेकिन मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने बैठक से दूरी बनाए रखी।