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सिंघु बॉर्डर पर हत्या के मामले में दो और निहंगों ने किया आत्मसमर्पण

सिंघु बॉर्डर पर हत्या के मामले में दो और निहंगों ने किया आत्मसमर्पण

सिंघु बॉर्डर पर निर्मम हत्या के मामले में आत्मसपर्मण करने वालों ने आख़िर क्या स्वीकार किया है? उन्होंने कथित तौर पर हत्या क्यों की? 

सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को लखबीर सिंह की निर्मम हत्या के मामले में दो और निहंगों ने आत्मसमर्पण किया है। पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया है। इससे पहले एक निहंग ने शुक्रवार शाम को ही हत्या की ज़िम्मेदारी लेते हुए पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और इस मामले में एक और आरोपी की गिरफ़्तारी की गई है। अब तक कुल चार आरोपियों के नाम सामने आए हैं। आरोपियों ने दावा किया है कि लखबीर सिंह की हत्या इसलिए की गई क्योंकि उसने सिख पवित्र ग्रंथ को 'अपवित्र' किया था।

जिन दो लोगों ने शनिवार देर शाम को आत्मसमर्पण किया है उनकी पहचान भगवंत सिंह और गोविंद सिंह के रूप में हुई है। एक वीडियो में आत्मसमर्पण करने आने के दौरान दोनों को माला पहने देखा जा सकता है और निहंग समुदाय के कुछ लोग दोनों का सम्मान करते हुए दिखते हैं।

इससे पहले शुक्रवार को सरवजीत सिंह ने हरियाणा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। सरवजीत को शनिवार को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया और सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। हालाँकि अधिकारियों ने यह कहते हुए 14 दिनों की हिरासत मांगी थी कि उनके पास अन्य संदिग्धों के बारे में जानकारी है और उन्हें हत्या के हथियार बरामद करने हैं।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के मुख्य मंच के पास ही शुक्रवार सुबह तरनतारन निवासी लखबीर सिंह का शव मिला था। उसकी निर्मम तरीक़े से हत्या की गई थी। उसकी बायीं कलाई कटी हुई थी। शव बैरिकेड्स से बंधा हुआ था।

पुलिस ने कहा था कि उसे शुक्रवार तड़के क़रीब पाँच बजे किसानों के विरोध प्रदर्शन वाली जगह पर एक शव लटकाया हुआ मिला था जिसके हाथ, पैर काटे गए थे।

पुलिस के अनुसार, जब तक पुलिस पहुँची तब तक व्यक्ति की मौत हो चुकी थी। कुछ लोग वहीं खड़े थे। पुलिस ने शव को बाहर निकालने का प्रयास किया तो मौक़े पर मौजूद कुछ लोगों ने विरोध किया था।

इस मामले में पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर कह चुके हैं कि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। उस घटना के बाद शुक्रवार को ही खट्टर ने चंडीगढ़ में अपने आवास पर एक बैठक की थी जिसमें गृह मंत्री अनिल विज और हरियाणा पुलिस के डीजीपी शामिल थे।

बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने हत्या के मामले से खुद को अलग कर लिया है। इसने कहा है कि न तो उस हत्या की कथित तौर पर ज़िम्मेदारी लेने वाले और न ही मारा गया शख्स संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े हैं। किसान संघों के इस संगठन ने हत्या की निंदा की है और पुलिस जाँच में सहयोग करने का आश्वासन दिया है।

संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम ने शुक्रवार को ही एक बयान में स्पष्ट कर दिया था, 'मौके पर एक निहंग समूह ने ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है, यह कहते हुए कि यह घटना मृतक के सर्बलोह ग्रंथ के संबंध में बेअदबी करने के प्रयास के कारण हुई... एसकेएम इस निर्मम हत्या की निंदा करता है। और यह स्पष्ट करना चाहता है कि दोनों पक्षों- निहंग समूह और मृतक - का एसकेएम से कोई संबंध नहीं है।'

इसने आगे कहा था, 'मोर्चा किसी भी धार्मिक पाठ या प्रतीक की बेअदबी के ख़िलाफ़ है, लेकिन यह किसी को भी क़ानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं देता है। हम मांग करते हैं कि हत्या और बेअदबी के पीछे साज़िश के आरोप की जाँच कर दोषियों को क़ानून के मुताबिक़ सज़ा दी जाए। एसकेएम पुलिस और प्रशासन का सहयोग करेगा।'

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