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101 महिला वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिख कहा, नफरती भाषणों के वीडियो पर लगे रोक 

101 महिला वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिख कहा, नफरती भाषणों के वीडियो पर लगे रोक 

नूंह हिंसा के बाद हरियाणा में मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार जैसे नफरती भाषणों को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट की महिला वकीलों के फोरम ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र भेजा है। 

नूंह हिंसा के बाद हरियाणा में मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार जैसे नफरती भाषणों को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट की महिला वकीलों के फोरम ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र भेजा है। इसमें मांग की गई है कि नूंह सहित हरियाणा के विभिन्न स्थानों में नफरत भरे भाषण हाल के दिनों में दिए गए हैं। इसके वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहे हैं। इन वीडियो में मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार जैसी नफरती बातें कही गई हैं। इन महिला वकीलों ने मांग की है कि इन नफरती भाषण के वीडियो को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तत्काल हस्तक्षेप करे।  

101 महिला वकीलों के हस्ताक्षर वाले 3 पेज के इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों का हवाला  देते हुए इन्हें रोकने की गुहार लगाई गई है। उन्होंने नफरत से भरे भाषण वाले वीडियो पर चिंता जताते हुए कोर्ट से अपनी तीन मांगे की हैं। उन्होंने मांग की है कि हरियाणा सरकार को नफरती भाषण रोकने के लिए कदम उठाने, नफरती भाषण के वीडियो पर रोक लगाने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया जाए। 

लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक  दिल्ली हाईकोर्ट की महिला वकीलों के फोरम ने अपने पत्र में कहा कि सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले भाषण और लक्षित हिंसा भड़काने वाले वीडियो सामने आए हैं और इसलिए ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य को निर्देश जारी किया जाना चाहिए। इसके अलावा, राज्य को उन वीडियो को ट्रैक करने और प्रतिबंधित करने का आदेश दिया जाना चाहिए जो किसी समुदाय, पूजा स्थलों को नुकसान पहुंचाने की धमकी देते हैं या किसी समुदाय के आर्थिक बहिष्कार का आग्रह करते हैं। 

नफरती वीडियो को ट्रैक कर प्रतिबंधित किया जाए

रिपोर्ट कहती है कि 101 महिला वकीलों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र याचिका में नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए जिम्मेदार पाए गए व्यक्तियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की गई है।

इस पत्र में महिला वकीलों ने कहा है कि हम नफरत फैलाने वाले भाषण की घटनाओं को रोकने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन करके इसे अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का मांग करते हैं। हम मांग करते हैं कि नफरत फैलाने वाले भाषण को बढ़ावा देने वाले और भय का माहौल बनाने वाले इन वीडियो को तुरंत ट्रैक कर प्रतिबंधित किया जाए। इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा राज्य को तुरंत निर्देश देने की मांग करते हैं।

इन वीडियो में सांप्रदायिक नारे लगाते हुए दिखाया गया

इस पत्र में कहा गया है कि, चिंता इस बात से बढ़ जाती है कि सोशल मीडिया पर फैले इन वीडियो में लोगों को जुलूस में हथियार ले जाते हुए, संविधान, शस्त्र अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसलों के माध्यम से निर्धारित कानूनों का उल्लंघन कर सांप्रदायिक नारे लगाते हुए दिखाया गया है।इसके बावजूद, इन वीडियो का कोई सत्यापन या ऐसे कृत्यों में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। यह भारत में सामाजिक सद्भाव और कानून के शासन के लिए एक उन्होंने कहा है कि खतरनाक खतरा है। अगर इसे अनियंत्रित रहने दिया गया, तो नफरत और हिंसा की इस बढ़ती प्रवृत्ति को नियंत्रित करना असंभव हो सकता है। 

भीड़ की हिंसा पर अंकुश लगाना सरकारों की जिम्मेदारी है

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक इस पत्र याचिका में महिला वकीलों ने उल्लेख किया है कि कैसे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह हिंसा के बाद राज्य के अधिकारियों द्वारा किए गए विध्वंस का स्वत: संज्ञान लिया। उन्होंने इस पत्र में कहा है कि  हाईकोर्ट के त्वरित और संवेदनशील दृष्टिकोण ने कानून के शासन में नागरिकों का विश्वास पैदा करने में काफी मदद की है। उन्होंने कहा है कि तहसीन एस पूनावाला बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि कड़े कदमों के जरिए भीड़ की सतर्कता और भीड़ की हिंसा पर अंकुश लगाना सरकारों की जिम्मेदारी है। 

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